आई हम बहुत खुश छी किआक त आब हमरा पूरा मौका भेटत आहां सब के बारे में जानैक ।
अहां इ सोचैत हैब की हम की कही रहल छी ।ई सत्य अछी आब हम सम मिल के आपन मिथिला के नव जीवन प्रदान करब।पुरान आ नव पीढी कॆ बीच जॆ खाई जॆ उत्पन्न भ गॆल या ऒकरा मिटाबै कॆ कॊशिश करब . आ ई तखने टा सम्भब हैत जखन आहां सब अपन बहुमूल्य बीचार से सब के अबगत करेबैं।
सोमवार, 21 जुलाई 2008
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2 टिप्पणियां:
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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अमित के. सागर
(उल्टा तीर)
Very nice ! bahut accha likha hai!
You are Welcome to my blog!
www.chitrasansar.blogspot.com
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